बस मन है की तुम खुश रहो
तुम्हारे प्रारब्ध में
किसी के आने से पहले
उसके साथ
और जाने के बाद
बस मन है की तुम खुश रहो।
इतना श्रम नियति का रहे कि
स्मृतियाँ ऐसी बने
जब किसी की याद आये
तो ह्रदय में गुदगुदी भले न हो
पर होंठो पर हंसी सजे
बस मन है की तुम खुश रहो।
इतने निःसंकोच भी बने रह सको
कि मोबाइल पर
किसी का भी नंबर बिना सजग रहे
सरलता से डायल कर सको
कोई माध्यम ना तुम्हे खोजना पड़े
बस मन है की तुम खुश रहो।
तुम निहार सको
खुशियों भरी डबडबायी
आँखों से पहाड़ों के मध्य
मस्त बहती सरिताओं को
और सोच सको उनका समन्दर में समाना
बस मन है की तुम खुश रहो।
उगा सको कुछ पौधे
जो पेड़ बन सके
उनमें समाहित हो सकें
तहज़ीब छाया और फल
निछावर करने की सदैव
बस मन है की तुम खुश रहो।
कर सको जो मन हो तुम्हारा
मन की सुन सको कह सको
जा सको वहां जहां मन हो
मन हो तो लौटो नहीं तो नहीं
सुने रास्ते तुम्हारे मन के हों
भीड़ तुम्हारे मन की हो
मन खौफ़जदा ना हो
सब मन का ही हो बस
बस मन है की तुम खुश रहो।