तुम्हारी प्यास जा नहीं रही है
नींद भी अब आ नहीं रही है।
दर्द इतने झेले चोट कोई
अब बदन दुःखा नहीं रही है।
बजती रहती फ़ोन की घंटी
नाम देख वो उठा नहीं रही है।
गुनाह दोनों का सजा एक को
रिश्ते की गरिमा निभा नहीं रही है।
दोस्त कहा और हद्द ये उसकी
गुनाह मेरे भुला नहीं रही है।
लगता कई दफे ये बात
क्यों तुम्हारी जां खा नहीं रही है।
इश्क़ तुम्हारा नाप तौल वाला
जिंदगी भुला नहीं रही है।
बारिश से भीगी तो हुई मटमैली
नदी तूफान कोई ला नहीं रही है।
पानी धीरे धीरे घट रहा
नौका अब समंदर में जा नहीं रही है।
Nice one
ReplyDeleteThank you so much !
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