Sunday, August 4, 2013

अपना लिख दे

मैं आज फिर से कोरा  कागज़ हूँ
तू कलम उठा अपना लिख दे।

बोसे रुख्सार के जुल्फों के साए
कर लूँ यकीं या सपना लिख दे।

मौला मेरे नाराज़ न हो किंचित
मेरे हिस्से नाम उसका जपना लिख दे।

आहों में बाहों में उसकी सब चाहों में
उसके दिल पे मेरा छपना लिख दे।



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