वो सब लोग बेगाने हो गए
जिनके हम दीवाने हो गए।
परम्परा जिन्होंने निभाई नहीं
बर्बाद वो घराने हो गए।
हम ही तेरी यादों में जलें क्यों
न मिलने के रोज़ जो बहाने हो गए।
तू कह भी तो लौट के न आयेगा
उस इन्सां को मरे जमाने हो गये।
तेरा दर तेरी गलियां खुदा का घर
इश्क में सब मेरे ठिकाने हो गये।
अब जाल में न फसेंगें ये परिंदे
जमाने की ठोकरों से जो सयाने हो गए।
हुआ नहीं आगाज़ भी इश्क का
और हरसू तेरे मेरे फ़साने हो गए।
जिनके हम दीवाने हो गए।
परम्परा जिन्होंने निभाई नहीं
बर्बाद वो घराने हो गए।
हम ही तेरी यादों में जलें क्यों
न मिलने के रोज़ जो बहाने हो गए।
तू कह भी तो लौट के न आयेगा
उस इन्सां को मरे जमाने हो गये।
तेरा दर तेरी गलियां खुदा का घर
इश्क में सब मेरे ठिकाने हो गये।
अब जाल में न फसेंगें ये परिंदे
जमाने की ठोकरों से जो सयाने हो गए।
हुआ नहीं आगाज़ भी इश्क का
और हरसू तेरे मेरे फ़साने हो गए।
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