Tuesday, September 21, 2021

तुम पर मर रहे हैं........

 

ये जो हम इधर उधर की बाते कर रहे हैं

सच पुछो तो तुम पर मर रहे हैं,

तुम से पह्ले जितने भी रह गये थे फिल् इन द ब्लैंक जिंदगी में

मिलके तुमसे हम बस उनको भर रहे हैं,

पर जो तेरी आंखो में रक़ीबो की परछाई है

दिल बैठ रहा है हाथ कांप रहे हैं देखो हम कितना डर रहे हैं,

बदलें हैं जाने कितने ठिकाने तुमने अब तक

ये कमाल है कि हम तुम्हारे ही मगर रहे हैं,

ये जो उजड गया है बस तुम्हारी खातिर

उस शख्स के कभी खुशियों के घर रहे हैं,

ये भी ना हो सका कि प्यार के बदले प्यार लौटा दो

क्या करोगे जवानी का,  कौन लोग हैं जो अमर रहे हैं,

एक चीज मांगी थी तुमसे अपना समझकर

गरीब के काम ना आओगे कहते फिरते हो कि मर रहे हैं। 

 

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