Saturday, November 13, 2021

एक ठिकाना बना लो तुम

जो तुमने कहा है वो हमने कोई माना नहीं है 

बस बात इतनी सी है और कोई फसाना नहीं है।


बला की हसीन हो कोई बाहों में ना भरना चाहे

बचपन से पता है इतना शरीफ कोई ज़माना नहीं है ।


तुम्हारा अंदाजे इश्क जुदा है हमसे कितना

फैसले सुनाते हो गुफ्तगू का कोई तराना नहीं है ।


हमने दिल खोल के रख दिया है कितनी दफे

तुम अब तलक बंद हो, तुम्हे कोई जताना नहीं है ।


प्यार में समर्पण, बेबाकियां, अकीदत, इबादत

आते आते आयेंगे प में बना कोई दीवाना नहीं है ।


नित लगा रहे हो चक्कर रकीबों की गलियों के

दिल में बसा बैठे हैं और तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं है।


मोहब्बत है तो लौट आओ तुम मेरी सदा पर

मर जायेंगे हम, जीने का कोई बहाना नहीं है ।


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