शहद शब्द अब शोर हो गए
दुश्मन क्यूँ इतने घोर हो गए,
जमाने ने ज़हर इतना घोला
हम दिल्ली तुम लाहौर हो गए।
एक जरा सी बात पर इतनी नफरतें पाली
मिलना मिलाना छोडा जाने कहाँ ठीकाने ठौर हो गये,
हर एक से मोहब्बत और वफा कुछ भी नहीं
नये जमाने के कैसे तरीके तौर हो गये,
तुम्हारा कहा मान कर छोडा तुम्हे फिर क्यों रुसवां हो
अब ना ढूँढना हमको कि हम बीते दौर हो गए,
उडते फिरते थे मोहब्बत में दिल टुटा तो यकीं आया
पतंग को डोर कोई काट गई हम कमजोर हो गए।
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