Tuesday, July 25, 2017

और तू कश्मीर हुई पड़ी है.....

हमें तेरे इश्क की बहुत दरकार है, जान क्यूँ नहीं जाती
इस मन पर तेरी सरकार है , पहचान क्यूँ नहीं जाती,
जमाने से तेरी गल्लियों के चक्कर लगा रहें हैं
और तू कश्मीर हुई पड़ी है मान क्यूँ नहीं जाती । 

धरती पर स्वर्ग सी तुम हो, बहकावे में मत आना
चंद लोगों ने घर हैं लुटे उनके संग तुम मत जाना
सच्चे आशिक हम हैं तेरे पहचान क्यूँ नहीं जाती
और तू  कश्मीर हुई पड़ी है मान क्यूँ नहीं जाती । 

झूठे हैं जो फुसलाते हैं, मुंह छिपाए पत्थर मारे जाते हैं
चंद रुपयों की खातिर जो उपवन को जंगल बनाते हैं
ईमान बेचने वालों को जान क्यूँ नहीं जाती
और तू  कश्मीर हुई पड़ी है मान क्यूँ नहीं जाती । 

हम भी वो मजनूँ हैं जो पत्थरों से नहीं डरते
वो खुशबू हैं जो फूलों को मसलने से नहीं मरते
झूठा दम्भ हम प्यार करने वाले भरा नहीं करते
सर रखा है संगीनों पे आशिक डरा नहीं करते ,

तेरे आँचल से सारे कांटे हटा देंगे
हर काले साए को मिटा देंगे
हम तुझको फिर से स्वर्ग बना देंगे 
तू थोडा प्यार हमसे कर तुझे रानी सा रखेंगे
फूलो की डोली हमारी है पहचान क्यूँ नहीं जाती
और तू  कश्मीर हुई पड़ी है मान क्यूँ नहीं जाती । 




 

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