इश्क में नजदीकियां बढ़ा दो ना
सब बारीकियां समझा दो ना।
देखो पंख लगे पगो से सज हैं
उड़ेंगे, तबीयत से हवा दो ना।
अपनों का जाल सा बना है यहां
हमें अपनाकर धुंध भगा दो ना।
खजुराहो की मूर्तियों सा हो जायें
अपनी सांसो में मेरी दफना दो ना।
कुछ सर्द रातों का सफर तय करो
ख्वाहिशों को अपना पता दो ना।
उम्र जाती है मेरे हाथ से फिसलती
गुलाब सुनहरे बालों में लगा दो ना।
ओ रे निष्ठुर करें अपने दिल की
जमाने के डर को झुठला दो ना।
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