व्यर्थ वसन उतार, प्यार जता ना
इतना सीधा क्या जीना, कर खता ना ।
बात को घुमाने की जरुरत क्या है
अपना समझा है तो सीधे बता ना ।
नज़र की शर्म रहने दे दरम्यान
लिबास जैसा भी है हटा ना ।
छुपाने वाली बात है तो छुपा
इश्क़ है तो बाहों में आ बता ना ।
दिल में गर दरक पड़ती है दूर जाने से
जा रहें हैं हम कुछ तो जता ना ।
No comments:
Post a Comment