खंडित प्रेम में आस है क्या
मुंडेर झांकती बेरंग तस्वीर
रिश्तो में अब भी खटास है क्या ?
जिंदगी को रंगो मेरे रंगरेज़
समर्थ हो तुम्हे अहसास है क्या ?
एक पत्थर की दूरी पे रहते हो
तू है मगर, मेरे पास है क्या ?
मुंडेर झांकती बेरंग तस्वीर
रिश्तो में अब भी खटास है क्या ?
जिंदगी को रंगो मेरे रंगरेज़
समर्थ हो तुम्हे अहसास है क्या ?
एक पत्थर की दूरी पे रहते हो
मिलने की कोई प्यास है क्या ?
मर रहे है हम धीरे से क्रमशः
तुम्हे होशो-हवास है क्या ?
तुम न बोलो, जिंदगी दोजख
इससे भी जीना बकवास है क्या ?
मेरे तो आदि अंत तुम्ही हो
तुम्हे किसी कि तलाश है क्या ?
क्षीण हो रही है देह मेरी
प्रेम शुद्ध बचा आभास है क्या ?
खंडित प्रेम में आस है क्या
तू है मगर, मेरे पास है क्या ?
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