Tuesday, November 3, 2015

पास है क्या............

खंडित प्रेम में आस है क्या
तू है मगर, मेरे पास है क्या ?

मुंडेर झांकती बेरंग तस्वीर
रिश्तो में अब भी खटास है क्या ?

जिंदगी को रंगो मेरे रंगरेज़
समर्थ हो तुम्हे अहसास है क्या ?

एक पत्थर की दूरी पे रहते हो 
मिलने की कोई प्यास है क्या ?

मर रहे है हम धीरे से क्रमशः 
तुम्हे होशो-हवास है क्या ?

तुम न बोलो, जिंदगी दोजख  
इससे भी जीना बकवास है क्या ?

मेरे तो आदि अंत तुम्ही हो 
तुम्हे किसी कि तलाश है क्या ?

क्षीण हो रही है देह मेरी 
प्रेम शुद्ध बचा आभास है क्या ?

खंडित प्रेम में आस है क्या
तू है मगर, मेरे पास है क्या ?







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