Saturday, September 19, 2015

ये नज़र अच्छी नहीं......

इतनी बेरुखी भी अच्छी नहीं
खबर रखते हो कि खबर अच्छी नहीं।

तुझसे मिल के ये पता चला
जहर अच्छा है कि जबर अच्छी नहीं। 

तू जो है तो सब है मौला
जिन्दगी है तो जी कि कब्र अच्छी नहीं।

ढूंढे तो हैं नगीने बड़े नायाब
हाथ से फिसले कि पकड अच्छी नहीं।

क्यूँ मिट्टी में ढूंढते हो मुझे
आसमां हूँ मैं कि ये नज़र अच्छी नहीं।












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