Monday, January 5, 2015

देखा है क्या....

तुम्हारे प्यार में
कितने रंग हैं
ओस की बूँद को
सूरज की किरण से
आँख लड़ाते देखा है क्या !

तुम्हारी बातें
कितनी मीठी हैं
उस ओस  की बूँद को
हरी दूब से
लिपटते देखा है क्या !

तुम्हारे प्यार में
कितना समर्पण है
तेज सी धूप में
उस नन्ही बूँद का
पानी से हवा होना देखा है क्या !

तुम्हारी बाहों में
कितना कुछ अपना सा है
शर्माती बूँद का
बहते पानी में
घुल एक होना देखा है क्या !

तुम्हारी यादें
कितनी अविरल हैं
बूँद का हर सुबह
कली के साए में
छुपकर आना देखा है क्या !

तुम्हारी हंसी
तुम्हारी यादें
तुम्हारी बाहें
तुम्हारे बातें
कितना तडपाती हैं
उस बूँद को होंठो से
छुआकर जालिम देखा है क्या !!


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