Tuesday, December 30, 2014

इश्क आशिकी बातें ......


ग़मगीन चेहरों को भुलाया जाये
खुद को हौंसला दिलाया जाये,

हो गए हो जो अकेले बहुत
दोस्तों से मिल आया जाये,

रुलाते रहे जो लोग उम्र भर
उन से पीछा छुड़ाया जाये,

रुआंसी हो रही दुनिया सारी
फ़िज़ा में हंसी को मिलाया जाये,

सब बदलने का दंभ न भरो
है हुनर तो दिखलाया जाये ,

मिलेगा जो तेरे नसीब में है
क्यों बेवजह दिल जलाया जाये,

तुमसे जीना मरना वादे कसमें
क्यूँ वक़्त इनमें ज़ाया जाये,

जमाने के कहने सुनने पे न जा
इश्क है तो बाहों को फैलाया जाये,

इश्क आशिकी बातें बहुत हुई
अब हमको गले लगाया जाये,

मन उपजी अग्न को उकसाया जाये
प्यास है तो फिर उसे मिटाया जाये।












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