Saturday, September 20, 2014

कीमत घटने लगी......

गर्द चेहरों से हटने लगी
जब धुप यूँ छंटने लगी,

देख कर  बेटे का कद ऊँचा
बाप की मूंछे बढ़ने लगी,

बेटा जब गया बाहर
माँ की आस घटने लगी.

बोया भाव आसमां पर
कटा तो जमीं धँसने लगी,

हुआ है प्यार में पागल
देखो दुनिया हंसने लगी,

कह गया अलविदा वो
छाती यूँ फटने लगी,

ना दिखा नखरे नवाबी
अब कीमत तेरी घटने लगी,

ये इश्क का बाज़ार है
दिलों की शतरंजे सजने लगी,

आ गया वो मैकदे में
बज़्म फिर महकने लगी।









No comments:

Post a Comment