लग रहा है बुरा
तो लगने दे
छोड़ दे उसे
भटकने दे
यूँ शर्मिंदा न हो प्यार पे।
है अगर तो
दम्भ भर
हो समर्पित
निश्चिंत हो कर
वो प्यार क्या
जो फ़िदा न हो यार पे।
तन बंटा
मन भी बंटा
और बांटोगे क्या
ये मेरा ये तेरा
काट दिए अंग अंग
और काटोगे क्या
होंसला रख उफ़ न हो वार पे।
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