नौचता है
खसोटता है
चीर देता है
यदा कदा
लहू बहता है आँखों से
अश्कों संग बहती हंसी
टीसता मन
काँपता तन
ज़ार ज़ार होता हूँ मैं
हज़ारों कोशिशों
और
दुआओं के बाद भी
हर अंश से
टपकती है,
रातों सोने नहीं देती
मेरे अंदर
जाने क्या ढूंढती है,
हर रोम में
हृदय में
वक़्त में
आँखों में
तेरी याद है बस
जीने भी नहीं देती
मरने भी नहीं देती।
खसोटता है
चीर देता है
यदा कदा
लहू बहता है आँखों से
अश्कों संग बहती हंसी
टीसता मन
काँपता तन
ज़ार ज़ार होता हूँ मैं
हज़ारों कोशिशों
और
दुआओं के बाद भी
हर अंश से
टपकती है,
रातों सोने नहीं देती
मेरे अंदर
जाने क्या ढूंढती है,
हर रोम में
हृदय में
वक़्त में
आँखों में
तेरी याद है बस
जीने भी नहीं देती
मरने भी नहीं देती।
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