वक़्त नहीं है
रुका भी नहीं
किसी के पास भी,
बस निकलता
रहता है
अपनी
मासूम सी
अनवरत
मतवाली चाल से,
तुम्हारी और मेरी
मुठ्ठी से,
बड़ा बेवफा सा है
उनके लिए
जिनके सपने
अभी भी सपने हैं
धडकते रहते
जो गाहे बगाहे
नन्हे से दिल में
पर वक़्त के हाथों
बन जाते हैं भूत
डराते हैं जो
कभी भी
कहीं भी
कैसे भी
अट्हास लगाते हुए,
तो चल उठ
हो सवार
वक़्त पर
जब
ठंडी सी बयार संग
रखे धीर से अंग
वो बह रहा है
अपने आँगन से,
सपनों को सपना
न रहने दे
लगा अट्हास
फिर संग
वक़्त के।
रुका भी नहीं
किसी के पास भी,
बस निकलता
रहता है
अपनी
मासूम सी
अनवरत
मतवाली चाल से,
तुम्हारी और मेरी
मुठ्ठी से,
बड़ा बेवफा सा है
उनके लिए
जिनके सपने
अभी भी सपने हैं
धडकते रहते
जो गाहे बगाहे
नन्हे से दिल में
पर वक़्त के हाथों
बन जाते हैं भूत
डराते हैं जो
कभी भी
कहीं भी
कैसे भी
अट्हास लगाते हुए,
तो चल उठ
हो सवार
वक़्त पर
जब
ठंडी सी बयार संग
रखे धीर से अंग
वो बह रहा है
अपने आँगन से,
सपनों को सपना
न रहने दे
लगा अट्हास
फिर संग
वक़्त के।
great
ReplyDeleteThanx dear...
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