Wednesday, January 30, 2013

हम दोनों चिंतन में.(अधूरी सी)...

छिड़ी हुयी है जंग तेरे और मेरे मन में
नव अंकुर सा फूटे रिश्ता जग जीवन में।

प्यार भरी बातें तेरी गुदगुदाए
रंग उमंग जगाये हैं मेरे तन में।

दिन भर हाड़ तोड़ती मेहनत है
रात गुजरे तेरी यादो की सिहरन में।

तू खेले रंगों से मैं लिख देता रंग
डूबे रहते जो हम दोनों चिंतन में।

दूर बहुत है मीलों के फासले हैं
कट जायेंगे दो दिलों की तड़पन में।

अधूरी सी लिख डाली पंक्तिया यूँही
कभी कभी जाने कुछ आता नहीं जहन में।




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