Friday, December 14, 2012

आसमां धुंधले हो गए...

यादों के इस कदर सिलसिले हो गए
पवर्तो पे बिछी बर्फ
और दिल सुलगते रहे
सुलग सुलग के यूँ फासले हो गए।

इतने आसां नहीं मिटाने
कदमो के निशां
महकती अन्तःस में खुशबू यूँही
चाहे बरसों मिले हो गए।

घिर लोगों से सोचता होगा
खुशियों के आसमान
जो दे गया किधर होगा
आखों से अश्क चुराने वाले
अश्को से भीग आसमां धुंधले हो गए।




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