हम जब जब सलाम करते हैं
वो बेरुखी सरे-आम करते हैं।
खुद को यूँ तेरा गुलाम करते हैं
जुल्फों में सुबहो-शाम करते हैं।
यूँ न कर गम अपना जग जाहिर
सब इजाफे का इंतजाम करते हैं।
लाख बना लें वो दूरियां हमसे
अश्क बह किस्सा तमाम करते हैं।
छुपकर जो रो दिया वो याद में
उन शामों को नामे ज़ाम करते हैं।
बहुत लड़े खुदा से तेरी खातिर
अब तो बस राम-राम करते हैं।
वो बेरुखी सरे-आम करते हैं।
खुद को यूँ तेरा गुलाम करते हैं
जुल्फों में सुबहो-शाम करते हैं।
यूँ न कर गम अपना जग जाहिर
सब इजाफे का इंतजाम करते हैं।
लाख बना लें वो दूरियां हमसे
अश्क बह किस्सा तमाम करते हैं।
छुपकर जो रो दिया वो याद में
उन शामों को नामे ज़ाम करते हैं।
बहुत लड़े खुदा से तेरी खातिर
अब तो बस राम-राम करते हैं।
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