आज गर सो गया
यादों की चादर
ओढ़े
ठिठुरती सर्दी तो नहीं
बस जान ले लेंगी
तुम्हारी यादें।
घड़ी कैसे गुजरेगी
रात की
देखकर वो घड़ी
जिसमें छूपे हैं
कितने वादे।
मन तो दौड़ा दौड़ा
ट्रेन पटरियों पर
रात स्याह हो चली
मिलें तो कैसे
राह कोई बता दे।
यादों की चादर
ओढ़े
ठिठुरती सर्दी तो नहीं
बस जान ले लेंगी
तुम्हारी यादें।
घड़ी कैसे गुजरेगी
रात की
देखकर वो घड़ी
जिसमें छूपे हैं
कितने वादे।
मन तो दौड़ा दौड़ा
ट्रेन पटरियों पर
रात स्याह हो चली
मिलें तो कैसे
राह कोई बता दे।
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