Thursday, November 15, 2012

इंसानी नाग.....

रूहे पाक नहीं कोई
प्रेम का कदम बढाने से पहले सोच ले।
जमाने में रहते रहते
कुछ विष की बुँदे
निगल ली हैं
हर किसी ने 
जो यदा कदा
आ जाती हैं
होंठो पे
जहन में
और
बन जाते  हैं लोग
यकायक
नाग
जहरीले।

ये अमूमन
कहानी किस्सों की बाते नहीं हैं
जिंदगी की रेलम पेल
सिखा रही है
अनथक
अनगिनत
सबक
जो हौले हौले
विष
की थैलियाँ
पनपा रही है
और
बना रही है
एक नयी प्रजाति
इंसानी नाग
वास्ता
तुम्हारा पडा तो होगा
कभी इनसे !!




No comments:

Post a Comment