जन्नत से उतरी एक परी
होड़ लगी ख्वाबो में उसे बसाए कौन,
रूठी हमसे किसी बात पे जमाने से
उस बात को भुलाए कौन ,
बड़ी उम्मीद से वादा किया गोवा घुमाऊंगा
इस भीड़ में दिल की बात बताये कौन,
पर टूटेगा दिल लाजमी
हुयी LTC कैंसल अब उसे समझाए कौन,
सहमे सहमे डरे डरे लोगों को हंसा ज़रा
नित घटे में डूबते BSNL को बचा ज़रा।
भटक गया है वो गाँव में नया है शायद
तू आँख उसकी बन रास्ता दिखा ज़रा।
भागती है जिंदगी करने को हर ख़ुशी हासिल
जो हासिल हो दो पल का शकुन, दिला ज़रा।
खुश रहे वो सदा माँ की दुआ हरदम साथ है
माँओ को भी बददुआओ से बचा ज़रा।
बहाने छोड़ दे , काम न खत्म होंगे ता उम्र
दोस्तों के साथ बैठ, कोई शाम तो बिता ज़रा।
खैरात नहीं है दोस्तों ये जमीन ये देश हमारा है
उठे हैं गर अन्ना, बाबा तू भी कदम तो बढ़ा जरा।
भ्रष्ट हो राजा सोई प्रजा उस देश को बचाए कौन
अज हम धरने पे कल तुम धरने पे
अरे हो चूका बहुत, पर हमको उठाये कौन।
बाते तो बहुत हो चुकी अब करके कुछ दिखाए कौन
हुयी LTC कैंसल अब उसे समझाए कौन?
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