Tuesday, September 4, 2012

कुछ कहती हैं ये पंक्तियाँ ............



नन्हे रिश्तों की सराय हैं बेटियां
मुश्किल होगी जब ये खोने लगें,
देर न हो जाये बचा लें  इनको
क्यों इनकी लाशों पे हम सोने लगे,
हो ऐसा की ढोल  बजे हर घर में
जब बेटियां होने लगें !!

दुखी हूँ मैं, मेरा घर उदास है
हर चेहरा मुरझाया हुआ
वजह खास है,
हर शख्स  सोच रहा कल क्या होगा 
बचा बहुत कम  BSNL के पास है !!

बड़े हश्र से मेरे इश्क का आगाज़ हुआ
जो था दूर वो दिल के पास हुआ,
वक़्त हसीं गुलज़ार था
पहले मैं गैर था अब उनका खास हुआ,
डूब रही  कम्पनी सुना उसने
इश्क तोडा मुझको छोड़ा
डगमग उसका भी विश्वास हुआ,

हम याद करले गनीमत है उनको
देश पे जो कुर्बान हुए,

वो फिजां बेहतर थी
जमाने और थे जब वो इन्सान हुए,
है नहीं कोई वैसा अब सब आँखों के जाल हुए
अफसर मदारी नेता नटवरलाल हुए!!


खिलौना देखकर रोया बच्चा जिसका
पिता वो कितना मजबूर होगा ,
हाल होगा क्या नयी  दुल्हन का
जिसका प्रियतम उस से दूर होगा,
नोच नोच कर खाने वालो देश को
जाग रही है आवाम
तुम्हारा खात्मा अब जरुर होगा!!
















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