कुछ तारीखें हैं
जो पाषाण लेख
बन गयी हैं,
वो तुम्हारे साथ बैठ कर
पानी को तकते
घनी दूब को चबाना,
तुमसे मिलने को
तुम्हारे शहर के
चक्कर लगाना,
फिर बिछड़कर
दुनिया के सबसे
दुःख भरे
लम्हे बस में बिताना,
तुम्हारी आवाज़
सुनने की खातिर
घंटो फोन को ताकना,
वो गाड़ी का सफर
वो सफ़र की हंसी रात
गले से तुम्हे लगाना,
वो रसीले से होंठ
वो जाड़े की ठिठुरन
वो सुलगता सी सांसे
सांसो में सारी बात बताना,
ये सब तारीखे खुद गयी हैं
दिल में बहुत गहरी
जब जब पढ़ते हैं
जिंदगी
पाषाण बन जाती है ,
कभी तो ऐ मेरे
पाषाण
मुझ से आके फिर से
टकरा
कभी तो इन तारीखों को
ज़िंदा कर !!!
जो पाषाण लेख
बन गयी हैं,
वो तुम्हारे साथ बैठ कर
पानी को तकते
घनी दूब को चबाना,
तुमसे मिलने को
तुम्हारे शहर के
चक्कर लगाना,
फिर बिछड़कर
दुनिया के सबसे
दुःख भरे
लम्हे बस में बिताना,
तुम्हारी आवाज़
सुनने की खातिर
घंटो फोन को ताकना,
वो गाड़ी का सफर
वो सफ़र की हंसी रात
गले से तुम्हे लगाना,
वो रसीले से होंठ
वो जाड़े की ठिठुरन
वो सुलगता सी सांसे
सांसो में सारी बात बताना,
ये सब तारीखे खुद गयी हैं
दिल में बहुत गहरी
जब जब पढ़ते हैं
जिंदगी
पाषाण बन जाती है ,
कभी तो ऐ मेरे
पाषाण
मुझ से आके फिर से
टकरा
कभी तो इन तारीखों को
ज़िंदा कर !!!
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