Friday, August 3, 2012

अपुन भ्रस्टाचार है !!!

मैं
हूँ तुम्हारे अन्दर
बहुत अन्दर,
समो गया हूँ
पानी में पानी जैसे
और दीखता नहीं हूँ
आदमी खुद को देखेगा 
और
मैं पहले ही
तुम में मैं  बन गया हु,
दिखने पर  भी
तुम मेरा क्या कर लोगे
हो नहीं सकता
अब मैं अलग
ऐसे ही
बिना किसी वजह
तुम चाहे फिर
लाख कोशिशे कर लो
करो आन्दोलन
या मरो भूखे
मैं तो जन्मता ही हूँ
दुसरो की भूख से
जिन्दा हूँ
दुसरो की रोटियों पर
उनके हक पर,

इतिहास गवाह है
सब चले गए
पर मैं हूँ
और अभी मेरी उम्र ही क्या है
जोशे जवानी बाकी है
पूरी कहानी बाकी है
मैं अमर हूँ
न तो कोई विभिसन 
न अग्निबाण
मुझे ना मार पाएंगे
मेरे चक्कर में
जान न गवां लेना
अपुन  भ्रस्टाचार  है !!!
आओ कोई माँ का लाल है तो
मैं हूँ तुम्हारे सामने
सीधा
बेबाक
निडर
आओ मिटाओ मुझे !!!

 

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