Wednesday, March 7, 2012

न भरेंगे तेरे प्यार का दंभ........

प्यार की जब दूर नज़र हुई
हवाए न जाने क्यों जहर हुई,

न जाने क्या क्या  सोचा उसने
शाम उनकी जुल्फों में न बसर हुई,

हर बात का अंदाजा गलत निकला
निकली दिल से दुआ बे असर हुई,

कुछ कहने सुनाने का क्या फायदा
किसके कहें से नूरे नज़र हुई,

हूँ चुप मेरे मौला यही सोचकर
तेरी हर अदा तो ना कहर हुई,

मैं चुप रह भी लू तो क्या
दिलो में चर्चा शामो सहर हुई,

टुटा दिल जहाँ  सच्चा था
झूठ से तो सब मयस्सर हुई,

न भरेंगे तेरे प्यार का दंभ
वफ़ा हमारी दर बदर हुई,

बरसा नहीं तेरे प्यार का पानी
कहा मेरी दरो दिवार तर हुई,

प्यार की जब दूर नज़र हुई
हवाए न जाने क्यों जहर हुई,


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