Monday, December 19, 2011

वो तो पक्का रूठेगी !!

कुछ साँसे
रुक गयी हैं
कुछ अटक अटक के
आ रही हैं
आंधी से
पहले जैसे
हो गयी हो
सहमी सहमी सी
हवा
और डर रही हो
की गर चली तो
पतों का शोर
बता देगा सबको
आगाह कर देगा
की डाली कोई टूटेगी !


सुबह बड़ी कायम थी
अपनी बात पे
पर शाम होते होते
सब भेद खुल गए
बर्फ गिरी थी
बड़े जोश से
पर सूरज के आते
होश उसके उड़  गए,
तोड़े हैं पेड़ उसने
और 
गिरा है  बीज
उसके हाथ से
डाली तो कोई फूटेगी !

हम हैं
गलत हैं
पता है
पर
ये कम्बखत है
तेरा है
मेरा है
दिल है
प्रेम की
कोपंल तो कोई फूटेगी
हुई है गलतिया
चल मना ऐ दिल
उसका हक है
वो तो पक्का रूठेगी !!



udas




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