कहू कैसे की कशमकश में हू
प्यार में हू खुद के न बस में हू
ढल गयी है शाम, पर उसने सुबह कहा था
है क्या अब भी असमंजस में हू ....
जब साथ थे तो प्यार की बाते ऊपर से गयी
दूर हो तो वो ही बाते आंख भर गयी
मैं इश्क विश्क की बातो में पड़ता न था
पर जाने तेरी ये बाते क्या बात कर गयी.....
जाके उचाईयों पे हमे भूले वो इस कदर
अब तो यादो के भी लग गयी ज़माने की नजर
रहते थे बाहों में जिनके शामो सहर
मंजिलो की चाहत में खो गया वो हमसफ़र .........
प्यार में हू खुद के न बस में हू
ढल गयी है शाम, पर उसने सुबह कहा था
है क्या अब भी असमंजस में हू ....
जब साथ थे तो प्यार की बाते ऊपर से गयी
दूर हो तो वो ही बाते आंख भर गयी
मैं इश्क विश्क की बातो में पड़ता न था
पर जाने तेरी ये बाते क्या बात कर गयी.....
तेरी खुशबू सी आई है चमन में,
है तू कही आस पास गुदगदी सी मन में
पूछो न हमसे जाना दिल ने कैसे,
बेवजह शुरू नहीं जश्न मन आँगन में ......
है तू कही आस पास गुदगदी सी मन में
पूछो न हमसे जाना दिल ने कैसे,
बेवजह शुरू नहीं जश्न मन आँगन में ......
जाके उचाईयों पे हमे भूले वो इस कदर
अब तो यादो के भी लग गयी ज़माने की नजर
रहते थे बाहों में जिनके शामो सहर
मंजिलो की चाहत में खो गया वो हमसफ़र .........
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