हालाँकि मैं ये नहीं कहता की मैं कभी भ्रस्टाचार में सहभागी नहीं रहा हू बहुत बार ऐसा हुआ की इसमे मैं एक्टिव पर्तिभागी रहा परंतू एक टीस दिल में हमेशा रही है की काश कुछ ऐसा हो जाये की दिनचर्या में समाया हुआ ये भ्रस्टाचार कुछ कम या की बिलकुल ख़तम हो जाये/ अफ़सोस ये रहा की मेरी ये सोच करोड़ो भारतीयों की सोच की तरह केवल सोच ही रह गयी और हकीक़त कुछ और/ अब भ्रस्टाचार पर इतने हो हल्ले के बाद कभी-कभी ये लगने लगा है की क्यों न इसे लीगल कर दिया जाये, आजकल जैसे prostituion को लीगल करने का चर्चा है क्यों न भ्रस्टाचार के बारे में भी ये सोचा जाये/
देखिये ये मैं यकीं के साथ कह सकता हू की जन साधारण, जनता, नेता, कर्मचारी आदि सभी इस बात से अछि तरह वाकिफ हैं की भ्रस्टाचार है और सिस्टम में इस तरह है की वो अब इसका एक हिस्सा ही लगता है, आज तो मैं आदरणीय श्री मनमोहन जी का एक वक्तव्य पढ़ रहा था की " he is ready for a discussion with opposition on corruption as they also have many skeletons " मतलब ये की जब देश का परधान मंत्री तक इस बात को स्वीकार कर रहा है फिर इस बात पर बहस का औचित्य रहा नहीं की देश में भ्रस्टाचार है की नहीं/ बहस का मुद्दा तो ये है की इसे ख़तम कैसे किया जाये/ एक जमात हमें हमेशा ऐसी मिली है जो इसे ख़तम करने के लिए सदैव तत्पर रही है उन्हें हम गांधी वादी का नाम देते है, देखिये सिस्टम को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, लोकपाल लाना चाहिए, इसमें PM को भी शामिल करना चाहिए/ सारे एक दुसरे के कर्तव्यो की गिनती कर रहे हैं/ अरे भाई लोग पहले उसे देश थमा दिया अब उसे लोकपाल के अन्दर ला रहे हो, जब तुम्हे अपने PM पर विश्वाश नहीं तो उसे वोट क्यों दिया ? यहाँ पर कुछ इस तरह की बाते की जाती है की दूसरा आप्शन नहीं, पहले ठीक था बाद में करप्ट हो गया आदि/
तो सुधार कहाँ होना चाहिए, इलाज कहा होना चाहिए, एकदम मस्त नारा है "बचाव ही इलाज है " / ख़तम तो जड़ होनी चाहिए बाद में चाहे पारदर्शिता लाओ चाहे सजा दो क्या फायदा, इतना पैसा, एनेर्जी ख़तम ! किस के लिए, इलाज के लिए, तो बचाव क्यों नहीं/ अगर कानून ही बनाना है तो वही से शुरू कीजिये जहा पे जड़े शुरू होती है या फिर इसे भी लीगल ही कर दो ! भ्रस्टाचार को लीगल करने की मुहीम छेड़ दो , हर एक भ्रष्टाचारी महकमे में एक भ्रष्टाचार फंड बना दो जिसका हिस्सा सब में बांटो, जनता को रशीद मिले उसे भी कोई इनकम टैक्स वगेरा में छूट देकर एक लोलीपोप दे दो, जितनी शिकायत भ्रस्टाचार की हैं सब ख़तम न किसी जाँच की जरुरत न किसी लोकपाल की/ जितना पैसा और मेहनत इस सब में वेस्ट हो रहा है देश के खजाने में रहेगा साथ में सरकार का रेवेनु भी बढेगा जिसे किसी और कम में लगाया जा सकेगा/ देखिये बहुत सोचने के बाद ये नतीजे पर पहुँच सका की या तो लड़ाई हो आर पार की, भ्रस्टाचार को शुरू होने से पहले मारो या फिर इसे स्वीकार कर दुसरे जरुरी कामो में ध्यान दो/ बाकि लोकपाल शोकपाल सब का तोड़ तो जनता देर सवेर निकाल ही लेती है/
sahi kha poonia ji.lokpal bil ka todh to nakal hi jayega.ladai to aar ja paar ki honi chahiye
ReplyDeleteTHANX AMRIT JI..
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