Thursday, September 5, 2024

आईने से झूठ बुलवाया गया है ........

आईने से झूठ बुलवाया गया है 

सबसे सच छुपाया गया है

 

(वो कब का जा चूका इस शहर से 

मिलने को जिसे तुम्हे बुलाया गया है। )

 

वो अब नहीं रहता इस शहर में 

कद्रदानों को बरगलाया गया है।  

 

रूखस्ती उसकी मुश्किल थी 

दिल से जिसे जबरन हटाया गया है।

 

जब मिले तो मोम था दिल उसका 

ठोकरों से जो पत्थर बनाया गया है।

 

ख्वाहिशें लाखों और थोड़े में खुश है 

उस शख्स को बहुत समझाया गया है। 

 

जमीं जायदाद दौलत शोहरत जरुरी है मगर 

सोचो कैसे, क्या खोकर कमाया गया है। 

 

चाय में शक्कर - चम्मच बिना पूछे 

डालकर भी तो प्यार जताया गया है।  

 

जो शख्स ताउम्र घुमा है नशे में 

सुना है इश्क़ घोलकर उसे एक बार पिलाया गया है। 

 

कितनी शर्म हया नजाकत थी उसमे 

साजिशन जिसे बेशर्म बनाया गया है।  

 

मोहब्बत में सब लूटा दिया उसने 

फक्त शरीर को बचाया गया है।  

 

ईश्वर ने भेजा यूंही बे-इरादा हमें  

मजहब मगर सर में घुसाया गया है। 

 

उसकी आँखों में इश्क़ पढता था वो 

दुश्मनी (जिहाद ) का सबक जिसे पढ़ाया गया है। 

 

ये जमीं, आसमां और लहू तो एक है 

स्वार्थों की खातिर हमें लड़ाया गया है। 

 

आईने से झूठ बुलवाया गया है,  

सबसे सच छुपाया गया है।





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