अपनी मौत का सामान देखा है
उसकी गर्दन पर एक निशान देखा है,
लहज़ा फरेबी बातें हसीं दिलकश है कितना वो
कितनी दफा उन पर लुटते हुए मैंने दिल ए नादान देखा है ,
नज़र भर देख ले तो दिन बन जाता है
अब भी उस पर मरते हैं कहीं ऐसा कद्रदान देखा है,
कह तो दिया है तुम्हे बेवफा मैंने
पर मैं बेइंतेहा दुःखी हूँ जब से तुम्हे परेशान देखा है,
गिनवा तो दिए हैं सबके ऐब तुमने
कभी खुद का भी गिरेबान देखा है,
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