Thursday, May 12, 2022

मैं चला गया हूं घर लेकिन तुम्हारे पास से जा ही नहीं रहा .......

जिंदगी ने जो दिया,मस्त है

ये, वो होता के महल बना ही नहीं रहा हूं,

मैं चला गया हूं घर लेकिन

तुम्हारे पास से जा ही नहीं रहा हूं।

तुम्हारी आंखों की नमी, शोखियां 

डूबा हूं इनमें थाह पा ही नहीं रहा हूं। 

मूंगफलिया जो छिली तुमने, देखता हूं

जाने क्यूं पर इनको खा ही नहीं रहा हूं।

प्रेम, गुस्सा, हठ, विछौड़े खेल मन के 

ठीक ही तो है सब इसे समझा ही नहीं रहा हूं।

क्यूं खुदा से लड़ूं, शिकायतें करूं 

तुमने छुआ था भुला ही नहीं रहा हूं।

तुम्हारी खुशबू बसी है हर अंग में 

कितना मजे में हूं की नहा ही नहीं रहा हूं।

नशे में हूं ऐसे कि फिर से मिलूं सोचा नहीं

पहली खुमारी से बाहर आ ही नहीं रहा हूं।

ऑफिस, काम, घर चल रहा है मेरे साथ 

तुम्हारी यादों से पर दूर जा ही नहीं रहा हूं।

मैं चला गया हूं घर लेकिन

तुम्हारे पास से जा ही नहीं रहा हूं।








6 comments:

  1. अदभुत और सराहनीय👏👏👍

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