Monday, February 14, 2022

पुछ लो .......

पुछ लो 
तुम हाथो को थामकर 
तुम्हे कोइ तकलीफ तो नहीं 
तबीयत ठीक है न 
तुम सब काम कर तो रहे हो 
परन्तु
अपना ध्यान भी रख रहे हो क्या 
तुम्हारे चेहरे पर कभी कभी
जो सवाल उभर आते हैं 
उनके  उत्तर हैं क्या तुम्हारे पास
कोई सवाल 
बहुत वक़्त से अनुतरित तो नहीं है ना,

पुछ लो कि तुम्हे 
हंसते खिलखिलाते देखने की आदत है 
कही हंसी के गर्भ में
तुमने अपनी सम्वेदना को
छुपा तो नहीं लिया है 
नित की दौड  धूप में 
रसोई और दफ्तर को समेटते हुये
कुछ बिखर तो नहीं गया है ना, 

पुछ लो 
तुम्हारे चेहरे की सलवटें 
उम्रदराज ही हैं ना
वो नहीं आयी हैं 
बच्चो की चिंता से 
और शहर में प्रतिदिन की बुरी खबरों से 
तुम नहीं टाल रही हो 
डोक्टर का अप्पोइंट्मेंट
बचा नहीं रही हो 
दुध कम लेकर पैसे 

पूछ लो
कहीं तुम्हारे प्रेम में
कुछ कमी तो नहीं
उसे कुछ अलहदा तो नहीं चाहिए
कहीं घर परिवार, इज्जत, मान सम्मान
सब उसने अपने ही कंधे पर तो नहीं उठा रखे
क्या वो सब कुर्बानी तो नहीं दे रहे
अपने अंदर से प्रेम को कम करते हुए

पूछ लो
चौराहे पर भीख मांगते बच्चों में 
कहीं उसे कुछ नजर तो नहीं आ रहा
और कहीं किसी कश्मकश में
वो चेहरे की झुर्रियां गहरी तो नहीं हो रही
तुम सब जो दिल में है 
पूछ लो
सुन लो 
और जो प्यार है उसे कह दो 
बस यही तो चाहिए उसे
शायद !!





  

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