जो तड़प तुम्हारे शब्दों में है मिलने मिलाने की
फक्त एक कोशिश है हमें दिलासा दिलाने की,
कदम तुम्हारे दहलीज से बाहर नहीं निकलते
और बात करते हो साथ साथ भाग जाने की ।
चुपके चुपके स्टेटस लगाएं हैं किस के लिए
क्या क्या करोगे बच के नजरों से ज़माने की ।
क्या शर्तें और क्या ही मिलने में चालाकियां
दिल नहीं तो कहदो जरूरत क्या है बहाने की ।
हँसके बातें, गले झूम के, चूमना यूं रकीबों को
जान वैसे ले लो मोहब्बत चीज नहीं आजमाने की ।
Sahi kaha....
ReplyDeleteThank you so much.
DeleteGreat poem
ReplyDeleteThank you ....
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