Wednesday, August 12, 2020

मिलन का चाव. ,.

जब तय कर लिया है 

नूतन बदलाव,  

तलाश रहे रोशनी कोई 

लेकर जलता अलाव,


क्या भुला दोगे

वो झील किनारे 

छतरी तले की कॊफ़ी,

वो लम्बी बातें 

मासूम सी बाँहों में 

ठहरी रातें,


भूलने की प्रथम सीढ़ी

प्यार की करवट है 

देह पृथक प्रेम में 

बहुत विकट है,


इन हदों का सम्मान

बड़ा कठिन होगा,

राधा प्रेम में समर्पित 

क्या देवकीनंदन होगा, 


क्या भुला दोगे 

वो साँसों का मिलन,

जिया बड़े चाव से 

 जो थोड़ा सा जीवन,


क्या होगा हृदय में  

फिर वही मिलन का चाव, 

रिश्तों में कहीं आएगा 

क्या फिर ठहराव,


जब तय कर लिया है 

नूतन बदलाव,  

तलाश रहे रोशनी कोई 

लेकर जलता अलाव।  



 

  


No comments:

Post a Comment