होठों पे उनके हंसी खिलेगी
यकीनन असर है दुआओं में।
बलखाती कमर वो लचीली
हर अंश छिपा है आहों में।
लाख पर्दों में रखो चाहत को
ये छिपती कहाँ है निगाहों में।
उसकी जुबां से गुलाब ढलकते
वो डूबी इश्क़ की है पनाहों में।
लिबास नागिन लिपटा बदन पे
यूँ छलकती जवानी है बाहों में।
दूर जाने की कोशिशें हैं बस
तुम्हारा घर है ख्वाबगाहों में।
इश्क़ से लौटना आसां कहाँ है
कितने इम्तेहां रखे हैं राहों में।
यकीनन असर है दुआओं में।
बलखाती कमर वो लचीली
हर अंश छिपा है आहों में।
लाख पर्दों में रखो चाहत को
ये छिपती कहाँ है निगाहों में।
उसकी जुबां से गुलाब ढलकते
वो डूबी इश्क़ की है पनाहों में।
लिबास नागिन लिपटा बदन पे
यूँ छलकती जवानी है बाहों में।
दूर जाने की कोशिशें हैं बस
तुम्हारा घर है ख्वाबगाहों में।
इश्क़ से लौटना आसां कहाँ है
कितने इम्तेहां रखे हैं राहों में।
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