खौफ का मंजर, आह बातों में
होता क्या नहीं स्याह रातों में।
हुकूमतों ने किया तार तार
प्रेम था जो अथाह जातों में।
इज्ज्तों के चीथड़े उड़े बेहिसाब
गरीब बेटी के ब्याह बारातों में।
जिंदगी ने भूलने न दिया तुम्हे
खंजर रहे कितने आह घातों में।
तुझ बिन हमेशा घाटे में रहे
देखा जोड़ बाकी राह खातों में।
जोर जबर हल्ला इश्क अश्क
होता क्या नहीं स्याह रातों में।
मवाली से वजीर जो बिके हाटों में
होता क्या नहीं स्याह रातों में।
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