मैं इश्क की हर एक अदा से वाकिफ हूँ
जब तुम करते हो तुमसे कोई नहीं करता ।
खाक छान लेते हो दुनिया की तुम
तुम्हारी सोच का तुमसा नहीं मिलता ।
वादे वफाओं के यूँ टूटकर बिखरें हैं
कोई ओर छोर इनका नहीं मिलता ।
मंजिले मुहब्बत मिलेगी भी कभी
ऐसा मुझे सुराग सा नहीं मिलता ।
तेरे इर्द गिर्द घुमी है जिंदगी अपनी
एक अपनी समझ तू भी नहीं मिलता ।
जब तुम करते हो तुमसे कोई नहीं करता ।
खाक छान लेते हो दुनिया की तुम
तुम्हारी सोच का तुमसा नहीं मिलता ।
वादे वफाओं के यूँ टूटकर बिखरें हैं
कोई ओर छोर इनका नहीं मिलता ।
मंजिले मुहब्बत मिलेगी भी कभी
ऐसा मुझे सुराग सा नहीं मिलता ।
तेरे इर्द गिर्द घुमी है जिंदगी अपनी
एक अपनी समझ तू भी नहीं मिलता ।
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