Friday, April 24, 2015

इश्क़ झूठा ही सही।

आसमां के पार शाही रथ पे सवार
मन मुदित मुदित, इश्क़ झूठा ही सही।

सागर लहरें नाव तुम पतवार
हृदय गये हार, इश्क़ झूठा ही सही।

आँखे लब जुल्फ होते जाते वार
सबर जार जार, इश्क़ झूठा ही सही।

ग़ज़ल सी शाम और यादों की बयार
है फिर एक बार, इश्क़ झूठा ही सही।

ले चलें तुझे तोड़कर जुनूं की रफ़्तार
जग आर पार, इश्क़ झूठा ही सही।

चल करें खुद पर भी थोड़ा एतबार
हो जाएँ सरोबार, इश्क़ झूठा ही सही।








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