जिंदगी के सपने जितने सुहाने लगे
हुयी जब रूबरू तो होश ठिकाने लगे।
सोचते थे आसमां ला जमीं पर रख देंगे
अंदाजे दूरी के हुए जब पंख जलाने लगे।
दुश्मनों की गिनती इस तरह शुरू हुयी
जब दोस्त जिगरी जो थे वो हराने लगे ।
फलसफ़ा समझ गया वो तजुर्बेकार निकला
वरना ये बात समझने में हमे जमाने लगे ।
हुयी जब रूबरू तो होश ठिकाने लगे।
सोचते थे आसमां ला जमीं पर रख देंगे
अंदाजे दूरी के हुए जब पंख जलाने लगे।
दुश्मनों की गिनती इस तरह शुरू हुयी
जब दोस्त जिगरी जो थे वो हराने लगे ।
फलसफ़ा समझ गया वो तजुर्बेकार निकला
वरना ये बात समझने में हमे जमाने लगे ।
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