Friday, June 8, 2012

दिल मस्त है तेरे रहन से....

आ  रही है
तेरे बदन की ख़ुशबू
मेरे हर परहन  से

महक रहा हूं मैं तेरी
गर्म सांसो की तपन से

सुघड़ बाहें जो लिपट गयी
कस लिया जहन  को  जहन से

अब  मेरी  रूह  तेरी बनी
कैसे बदलेगी जग कहन से

रहने लगी हो मेरे अन्दर तुम
दिल मस्त है तेरे रहन से

हो गया बहुत अभिमानी
कहा तुमने अपना मुझे नयन से


प्यास  जाने क्यों बढ़ रही
यादो में तेरी छुअन से

सींचो साथी प्यार से प्यार को 
मर न जाऊं इस जलन से 

वो आगोश में तेरी पिघला मैं
टपकता हूँ तेरे बदन से

टपक टपक हर बूँद जली
परे तेरा यौअवन सहन से

पा गया जन्नत तुमसे
चाहत न कुछ अब भगवन से

आ  रही है
तेरे बदन की ख़ुशबू
मेरे हर परहन  से !!

 








2 comments:

  1. sach dil ko choti h aapki kavita ,nice

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  2. nice ,keep it up cho lati h aapki kavita dil ko sehar uththa h mara mann

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