आज भी
कितनी दफा संभाल लोगे सब
पर नहीं संभल पाते तुमसे आंसू
नहीं साथ देते तुम्हारा
होंठ
आंखे
भाव
सब बोल देते हैं ये
तुम करते रहते हो दावा
निष्ठुर होने का
और
ये बताते रहते हकीकत
कितना कोमल है
हृदय
बोल
और मेरे लिए तुम्हारा प्यार
तुम पिघल जाते हो
पल भर में
जैसे बाहों में वैसे ही दिल में
कितना सुकून है
तुम्हारे साथ में
बाहों में
प्रेम में
मिलने में
तुम क्यों ही दिखाते रहते हो
कठोर हो
मुझे भी
तुम्हे भी मालूम है
प्यार सब बदल देता
न तुम अब पहले जैसे
न ही हम
तो जानां बस प्यार ही
हकीकत
बाकी सब क्यूं ही
जाना जाए ।
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