Saturday, May 3, 2014

तुम्हारे प्यार के लैटर पैड..........


स्याहियां सुख गयी हैं कुछ चेहरे मुरझाये हैं
तुम्हारे प्यार के लैटर पैड बहुत अलसाये हैं

तुम खुश अपने घर में मैं खुश अपने घर में
तडपाते हैं जो वो तेरी यादों के सरमाये हैं।

जाने कब बादल बरसेंगे जाने तुम कब आओ
धरती,पीपल,वो चिरैया और मैं सब घबराये हैं।

मुंडेर पर चढ़ के देखूं कभी निहारूं आसमां को
तुम हो या मौसमों ने साजिशों के तीर चलाये हैं।

प्यार के वो सारे लैटर पैड खाली हैं मेरे प्रिय 
बेबसी में जिन पर तेरा नाम नहीं लिख पाये हैं।

बहुत दूर नहीं है तेरा घर और वो महफिलें 
मगर क़दमों ने तेरी राह तकते होंसले गंवाए हैं।

स्याहियां सुख गयी हैं कुछ चेहरे मुरझाये हैं
तुम्हारे प्यार के लैटर पैड बहुत अलसाये हैं


No comments:

Post a Comment