मुहब्बत का ये उसूल हुआ करता है
कोसों दूरी का गम कबूल हआ करता है।
तेरी तस्वीरों में जान ढूंढ लेते हैं
अच्छी यादों का ये रसूल हुआ करता है।
आज नहीं तो कल तुमने आना है
न मिलने का डर फिजूल हुआ करता है।
तुम अब भी चमकते हो चांदनी से
देखेगा वो जो तुझमें मशगूल हुआ करता है।
रेगिस्तां पर्वत समंदर हैं हमारे दरम्यान
दिलों में प्यार न हो तो तगाफुल हुआ करता है।
मेरी बातों का बुरा न मान मेरे हमसफ़र
हूँ प्यार में तो सब उल-जुलूल हुआ करता है।
तुम मेरी रगों में और मैं तेरे प्राण में
ये है मुहब्बत इसमें सब मश्मूल हुआ करता है।
तेरी तस्वीरों में जान ढूंढ लेते हैं
अच्छी यादों का ये रसूल हुआ करता है।
१.तगाफुल-उपेक्षा/तिरस्कार
२.मश्मूल-शामिल
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